जय हिन्द न्यूज/जालंधर
संभवत: सिटी की पहली महिला पुलिस कमिश्नर आईपीएस अधिकारी धनप्रीत कौर के नेतृत्व को कमजोर साबित करने के लिए रची गई एक और साजिश का अंतत: आज पर्दाफाश हो गया है।
पुलिस ने कुछ दिन पहले शाम के समय अर्बन एस्टेट इलाके में डॉक्टर राहुल सूद की बेमतलब किडनैपिंग की कोशिश और पैर पर गोली मारने के मामले में पुलिस ने मूलत: उत्तर प्रदेश तथा वर्तमान जालंधर निवासी सत्य नारायण को गिरफ्तार किया है।
आज सोमवार को खुद पुलिस कमिश्नर धनप्रीत कौर ने प्रैस कांफ्रैंस करने इस आश्य को मीडिया के साथ सांझा किया। CP ने मीडिया को बताया कि घटना को अंजाम देने वाले तीन आरोपियों की पहचान हो चुकी है। अन्य दो की तलाश में विभिन्न टीमें जुटी हुई है।
उधर, घटना को लेकर सुविज्ञ सूत्रों एवं आंतरिक विशलेषन विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यह एक सुनियोजित घटना थी जिसको अंजाम देने का कोई उद्देश्य नहीं था। हालांकि अन्य एंगल साफ संकेत दे रहे हैं कि यह घटना महज सीपी के नेतृत्व को कमजोर साबित करने के लिए घटित की गई थी।
सूत्रों की मानें तो जब से आईपीएस अधिकारी धनप्रीत कौर ने जालंधर में चार्ज संभाला है, वो गलत काम न कर रही हैं और न होने दे रही है। यहां तक कि उन्होंने अपनी टीम का कोई भी सेनापति भी नियुक्त नहीं किया है। जैसा कि बीते समय में अफसर करते थे।
दावा तो यह भी किया है कि उनके दरबार में कोई भी राजनेता किसी के साथ धक्का करने की सिफारिश नहीं ले जा पा रहा। यही कारण था कि बीते समय में उनको ट्रांसफर करवाने की पूरी कोशिश की गई लेकिन उनके सुपर स्ट्रांग दिल्ली कनैक्शन के कारण उनको हटा नहीं पाए।
अब एक बात तो सभी जान चुके हैं कि सीपी धनप्रीत कौर के राज में किसी के साथ धक्का नहीं हो रहा है। सीपी आफिस में कोई भी सरकारी-प्राइवेट व्यक्ति कैश कुलैक्टर का काम नहीं कर पा रहा है। केस आन-मैरिट निपटाए जा रहे हैं। सीपी के नीचे वाले उच्च पदों पर बैठे अफसरों का डेली आडिट हो रहा है जिससे पुलिस का इस्तेमाल करके अपने उल्लू सीधे करने वालों के धंधे चौपट हो रखे हैं।
सूत्र बताते हैं कि सीपी को कमजोर साबित करने के लिए लुधियाना का एक एन.एस नामक बिजनैसमैन जिसके डाक्टरों के साथ प्रगाड़ संबंध है, वो पूरा जोर लगा रहा है। अब ऐसे में जब अटैक भी किसी डाक्टर पर हुआ है, तो ढेरों सवालों ने जन्म ले लिया है जिसमें सबसे बड़ा सवाल कि कहीं विक्टिम ही साजिशकर्ताओं के साथ मिला हुआ तो नहीं?
सवाल यह कि बिना मोटिव वाली इस घटना के दौरान क्या टारगैट डॉ. राहुल सूद को पांच से ज्यादा हमलावर मिलकर भी किडनैप नहीं कर पाए? हमलावरों में अपराध की दुनिया से बाहर के लोग ही क्यों शामिल किए गए? घटना को सीसीटीवी के सामने ही क्यों अंजाम दिया गया? क्या गोली जमीन पर मारनी थी, पैर पर लग गई? इत्यादि-इत्यादि
बहरहाल, इन सवालों के सही जबाव तो सही ढंग से होने वाली जांच के बाद ही मिल सकते हैं। पुलिस अपने एंगल से जांच कर रही है और सूत्र अपना दावा लेकिन अब देखना शेष होगा कि इस मामले की जांच के दौरान सूत्रों के दावे वाला यह एंगल निकलकर सामने आता है या नहीं। सनद रहे।